Viral Video: हे प्रसंग विनोदपूर्ण आणि उपरोधिक पद्धतीने मांडला गेला आहे, जिथे चहा विक्री करणाऱ्या व्यक्तीच्या ग्लॅमरवर जास्त भर दिला जातोय आणि प्रत्यक्ष चहाच्या चवीकडे दुर्लक्ष होतंय. यामध्ये “ओव्हरॲक्टिंग 98%” असा उल्लेख करून, चव कमी पण दिखावा अधिक असल्याचं सूचित केलं आहे.
हे ट्रेंड्स सध्या त्या वळणावर आहेत, जिथे अनेक ब्रँड किंवा व्यक्ती केवळ प्रसिद्धी, ग्लॅमर आणि सोशल मीडिया प्रभावाचा उपयोग करून व्यवसायात उतरतात. वास्तविक उत्पादनाची गुणवत्ता बाजूला पडते, आणि त्यामुळे लोक अशा विनोदांद्वारे या परिस्थितीवर टिका करतात.
अशा गोष्टींमुळे सोशल मीडियावर चर्चा वाढते आणि लोक मनोरंजन करतानाच व्यापारातील बदलते ट्रेंडही अधोरेखित करतात.
“मॉडल चायवाली” का ट्रेंड तेजी से सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज चैनलों में चर्चा में है। इस चायवाली ने अपने स्टॉल और प्रेजेंटेशन में ग्लैमर का तड़का लगाकर लोगों का ध्यान खींचा है। कुछ लोगों का कहना है कि जहां स्टाइल और ओवरएक्टिंग का प्रतिशत ज्यादा है, वहीं असल में चाय का स्वाद फीका रह गया है।Viral Video
यह तुलना डॉली चायवाले से हो रही है, जो पहले ही अपने आकर्षक अंदाज और विशिष्ट चाय बेचने के स्टाइल से पॉपुलर हो चुके हैं। सोशल मीडिया पर दोनों के बीच अनौपचारिक प्रतिस्पर्धा की बात छिड़ गई है। इस पूरे मामले पर कई मीम्स और टिप्पणियां भी वायरल हो रही हैं, जिसमें मजाकिया अंदाज में कहा जा रहा है, “चाय का स्वाद 2%, ओवरएक्टिंग 98%।”
ऐसे ट्रेंड्स से साफ है कि युवाओं में अब व्यवसायों को प्रमोट करने के लिए नयापन और मनोरंजन का तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, लेकिन साथ ही लोगों की उम्मीद रहती है कि स्वाद और गुणवत्ता में भी समझौता न हो.
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